अक्षांश रेखाएँ :-
ग्लोब पर भूमध्य रेखा के समान्तर खींची गई कल्पनिक रेखाओं को अक्षांश रेखाएँ कहते है। अक्षांश, भूमध्यरेखा से किसी भी स्थान की उत्तरी अथवा दक्षिणी ध्रुव की ओर की कोणीय दूरी का नाम है।ये रेखाएं एक दूसरे के समांतर होती है । ये रेखाएं पूर्णवृत्त होती है | अक्षांश रेखाएँ किसी स्थान का पृथ्वी के केन्द्र की ओर झुकाव को प्रदर्शित करती है । सबसे बड़ी अक्षांश रेखा भूमध्य रेखा(विषुवत रेखा 0°) ये रेखा पृथ्वी को दो समान भागों मै बाँटती है, एक भाग उत्तरी गोलार्ध तथा दूसरा भाग दक्षिण गोलार्ध कहलाता है। कर्क रेखा ओर मकर रेखा के मध्य के क्षेत्र को उष्णकटिबन्ध कहा जाता हैं। उत्तरी व दक्षिण ध्रुव का अक्षांशीय मान 90° होता है। पृथ्वी पर कुल अक्षांशों रेखाओं की संख्या 179 है, क्योकि उत्तरी व दक्षिण ध्रुव बिंदु है नाकि रेखा।
पृथ्वी के किसी स्थान से सूर्य की ऊँचाई उस स्थान के अक्षांश पर निर्भर करती है। न्यून अक्षांशों पर दोपहर के समय सूर्य ठीक सिर के ऊपर रहता है। पृथ्वी के तल पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों की गरमी विभिन्न अक्षांशों पर अलग अलग होती हैं। पृथ्वी के तल पर के किसी भी देश अथवा नगर की स्थिति का निर्धारण उस स्थान के अक्षांश और देशांतर के द्वारा ही किया जाता है।
किसी स्थान के अक्षांश को मापने के लिए अब तक खगोलकीय अथवा त्रिभुजीकरण नाम की दो विधियाँ प्रयोग में लाई जाती रही हैं। किंतु इसकी ठीक-ठीक माप के लिए 1971 में श्री निरंकार सिंह ने भूघूर्णनमापी नामक यंत्र का आविष्कार किया है जिससे किसी स्थान के अक्षांश की माप केवल अंश (डिग्री) में ही नहीं अपितु कला (मिनट) में भी प्राप्त की जा सकती है।
दो अक्षांशो के मध्य की दुरी भूमध्य रेखा पर ज्यादा होती है। धुर्वो पर अक्षांशो के मध्य की दुरी कम होती है।
दो अक्षांशो के मध्य की दुरी लगभग 111 किलोमीटर होती है ।
कुछ मुख्य अक्षांश रेखाएँ निम्न है :-
कर्क रेखा :-
कर्क रेखा उत्तरी गोलार्ध मैं भूमध्य रेखा के समानान्तर 23°26′14″ (लगभग साढ़े 23° उत्तरी अक्षांश )। कर्क रेखा भूमध्य रेखा के समांतर उत्तरी गोलार्ध मैं स्थित है| जून संक्रांति मैं सूर्य की किरण कर्क रेखा पर सीधी गिरती है। कर्क रेखा स्थिर नहीं है, क्योकि यह लगातार मिनट के 1/6 (0.47″) हिस्से की दर से दक्षिण ध्रुव की और बढ़ रही है| 21 जून को सूर्य कर्क रेखा के एकदम ऊपर होता है, इस कारण इस दिन उत्तरी गोलार्ध मै सबसे बड़ा दिन होता है।इस समय कर्क रेखा पर स्थित क्षेत्रों में परछाईं एकदम नीचे छिप जाती है, अथार्त परछाई बनती नहीं है। इस कारण इस समय इन क्षेत्रों को अंग्रेज़ी में नो शैडो ज़ोन कहा गया है।
कर्क रेखा निम्न स्थानों से होकर गुजरती है :-
इजिप्ट (मिस्र) मैं स्थित नासेर झील, अरब-सागर,फ्लोरिडा के जलडमरू,निकोलस चैनल, एंगुइला काय्स, संतरेन चैनल,एक्जुमा द्वीप, लॉन्गद्वीप के मध्य से गुजरती है । कर्क रेखा भारत के आठ राज्यो से होकर गुजरती है । कर्क रेखा निम्नलिखित राज्यो से होकर गुजरती है ।
राजस्थान , गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मिजोरम ।
मकर रेखा :-
मकर रेखा दक्षिणी गोलार्द्ध में भूमध्य रेखा के समानान्तर 23°26′14″पर, ग्लोब पर पश्चिम से पूरब की ओर खींची गई कल्पनिक रेखा हैं। 22 दिसम्बर को सूर्य मकर रेखा के एकदम ऊपर होता है, इस कारण इस दिन दक्षणी गोलार्ध मै सबसे बड़ा दिन होता है। मकर रेखा पृथ्वी की दक्षिणतम अक्षांश रेखा हैं, जहाँ दिसंबर संक्रांति के समय सूर्य दोपहर के समय लम्बवत चमकता हैं। मकर रेखा के उत्तर तथा कर्क रेखा के दक्षिण मे स्थित क्षेत्र उष्णकटिबन्ध कहलाता है।